गैलियम और जर्मेनियम क्या हैं, चीन के इस प्रतिबंध के वजह से टेक कंपनियों पर क्या असर पड़ेगा

पश्चिम और चीन के बीच तकनिकी ‘युद्ध’ तेजी से बढ़ते दिखाई दे रहा है। पिछले हफ्ते ये सामने आया कि अमेरिका, जेनरेटिव एआई के लिए इस्तेमल होने वाले कुछ चिप्स के व्यापार पर रोक लगाने की योजना बन रहा है। अब, रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन ने दो धातुएं – गैलियम और जर्मेनियम के व्यापार पर प्रतिबंध लगाया है, जिसकी अमेरिकी तकनीकी कंपनियों को भारी नुकसान हो सकता है। हम यहां पे समझेंगे कि ये दो चीजें क्या हैं और टेक कंपनियां उन्हें कैसे इस्तमाल करती हैं।

गैलियम और जर्मेनियम क्या हैं, चीन के इस प्रतिबंध के वजह से टेक कंपनियों पर क्या असर पड़ेगा

गैलियम और जर्मेनियम क्या हैं?

गैलियम एक सिल्वर रंग का मेटल है जो सामान्य कमरे की तापमान से थोड़ी ऊपर घोलने पर पिघल जाता है। गैलियम आर्सेनाइड (GaAs) सेमीकंडक्टर के प्रोडक्ट में एक आवश्यक तत्व है। गैलियम आर्सेनाइड को हाई-फ्रीक्वेंसी वाले डिवाइसेस जैसे माइक्रोवेव एम्पलीफायर, सौर सेल, और एलईडी (लाइट-इमिटिंग डायोड) में उपयोग किया जाता है। उसी तरह गैलियम को पावर इलेक्ट्रॉनिक्स, रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) एम्पलीफायर, और एलईडी लाइटिंग में भी बहुत कुछ किया जाता है, जिसमें पारंपरिक सिलिकॉन-आधारित डिवाइसेस के मुकाबले अधिक बेहतर कुशलता और पावर क्षमताओं की सुविधा मिलती है।

जर्मेनियम का इस्तेमाल इंफ्रारेड लाइट के ट्रांसमिशन के लिए किया जाता है, जिससे इसका महत्त्वपूर्ण उपयोग इंफ्रारेड ऑप्टिक्स और लेंस में होता है जो थर्मल इमेजिंग कैमरास और नाइट विजन डिवाइस के लिए होते है। जर्मेनियम को ऑप्टिकल फाइबर के कोर में डोपेंट के रूप में भी सुधार किया जाता है, जिसे उनकी प्रकाश-वाहन क्षमाता को फाइबर ऑप्टिक कम्युनिकेशन सिस्टम्स में सुधार किया जाता है।

टेक इंडस्ट्री में गैलियम और जर्मेनियम दोनों का महत्तवपूर्ण उपयोग है। लेकिन गैलियम, विशेष रूप से गैलियम आर्सेनाइड के रूप में, उचे फ्रीक्वेंसी और पावर डिवाइसेस के लिए सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

चीन इन धातुओं के निर्यात पर प्रतिबंध क्यों लगा रहा है?

चीन के व्यापार मंत्रालय ने कहा की 1 अगस्त से, इन धातुओं और उनके कुछ कंपाउंड्स को भेजनें के लिए व्यापारियों को लाइसेंस की आवश्यकता होगी। व्यापारियों को इन धातुओं के इम्पोर्टेर्स और अंत कर्मियों को पहचानना होगा। इसके अलावा, उन्हें बताना होगा की ये धातु किस तरह से इस्तेमाल किए जायेंगे और तभी एक लाइसेंस जारी किया जायेगा। चीन दुनिया में इन दोनों धातुओं का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट करने वाला देश है और दुनिया भर के टेक कंपनीज इन्हे बहुत सारे मटेरियलों के प्रोसेसिंग के लिए उपयोग करते है।

टेक कंपनियों पर क्या असर पड़ेगा?

चीन की इस कदम को दूसरे देश के लिए एक चेतावनी की तरह देखा जा रहा है। पिछले कुछ सालों में, व्यापार युद्ध अमेरिका और चीन के बीच बढ़ गए हैं। कई चाइनीज कंपनी को यूएस में अपने प्रोडक्ट का व्यापार या निर्यात करने की अनुमति नहीं है। जैसी की हुवावे कंपनी, जो कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स में पहचाने जाने वाली एक नाम थी, लेकिन अमेरिका के प्रतिबन्ध के कारण बड़े नुकसान से गुजर रही है।

और इसके अलावा, यूएस ने एनवीडिया द्वारा बनाए जाने वाले चिप्स का निर्यात पर प्रतिबन्ध लगाने की सोच रहा है। ये चिप्स जनरेटिव एआई के लिए भाषा मॉडल्स को ट्रेन करने में महत्तवपूर्ण है। चीनी कंपनियां एआई पर बड़ी उम्मीद लगाए हुए हैं और अगर यूएस बैन लगा देता है, तो इसे उन पर अवश्य भारी प्रभाव पड़ेगा।

अगर चीन में धातुओं के निर्यात पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगता है, तो अमेरिका की तकनीकी कंपनियां जो सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री पर अधिक निर्भर हैं, उन पर भी भारी प्रभाव पड़ सकता है।

Source/Via: GadgetsNow

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